श्याम खेलो न होली परी पइयां खजुराहों आदिवर्त में नृत्य, नाट्य, गायन एवं वादन पर केन्द्रित समारोह ‘देशज‘ का आयोजन किया गया

mindnews.org
3 Min Read

देशज समारोह बुन्देली गायन की अनोखी प्रस्तुति
खजुराहो :- मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा स्थापित ‘आदिवर्त‘ जनजातीय लोककला राज्य संग्रहालय- खजुराहो में प्रत्येक रविवार को नृत्य, नाट्य, गायन एवं वादन पर केन्द्रित समारोह ‘देशज‘ का आयोजन किया जाता है। गतिविधि में रविवार 10 मार्च, 2024 को सायं 05.30 सुश्री गीता देवी एवं साथी, शिवपुरी द्वारा ‘बुन्देली संस्कार गीत‘ की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलन एवं कलाकारों के स्वागत से की गई। गतिविधि की शुरूआत सुश्री गीता देवी एवं साथियां द्वारा बुन्देली संस्कार गीत से की गई। प्रस्तुति के दौरान कलाकारों ने गैलारी, गारी, बिलवारी, होलीगीत, चौकडिया की प्रस्तुति दी। मंच पर प्रस्तुति के दौरान गीता देवी, हरनाम सिंह नरवरिया, अमित प्रजापति, संतोष लोधी, पिक्कू सोनी, भरत लोधी, सोनू अहिरवार कलाकारों ने संगत की। इसीक्रम में अगली प्रस्तुति श्री जीतेन्द्र चौरसिया एवं उनके साथियों द्वारा आल्हा गायन की प्रस्तुति दी गई। मंच पर प्रस्तुति के दौरान जीतेन्द्र चौरसिया, शरद अनुरागी, दुष्यंत बुन्देला, पवन सेन, राहुल अनुरागी, अमन सोनी, राधारमण, अनुराग देव कलाकारो ने संगत की। इसी क्रम में अगली प्रस्तुति श्री राघवेन्द्र खरे द्वारा नौरता नृत्य से की गई। बुन्देलखण्ड अंचल में नवरात्रि के अवसर पर कुँवारी कन्यायें इसका आयोजन करती हैं। यह पूरे नौ दिन तक चलता है। घर के बाहर एक अलग स्थान पर नौरता बनाया जाता है। गाँव में रंगों की जगह गेरू, सेम के पत्तों का रंग, हलदी तथा छुई का प्रयोग मुख्य रंग इतने ही होते हैं। नौरता में सुअटा, चंदा सूरज तथा नीचे रंगीन लाइनें बनायी जाती हैं। कई घरों में नौरता जहाँ बनता है वहाँ पर आकर्षक बाउण्ड्री बनायी जाती है। नौरता पर नौ दिन अलग-अलग ढंग से चौक बनाये जाते हैं। कुँवारी कन्यायें अच्छे जीवनसाथी की मनोकामना के लिए नौरता नृत्य करती हैं। इसीक्रम मे अगली प्रस्तुति श्री संदीप कुमार उइके द्वारा गुन्नूर साई नृत्य से की गई। इसीक्रम में अंतिम प्रस्तुती जमुना अखंडे द्वारा गदली नृत्य से की गई। गदली नृत्य . कोरकू आदिवासी नृत्य कोरकू समाज मे शादी या खुशी के मौके पर किया जाता है। ये नृत्य बारातियों के स्वागत में कन्यापक्ष के लोग करते हैं।
गतिविधि अन्तर्गत दिनांक 17 मार्च 2024 को सुश्री सीमा कुशवाहा एवं साथी सकरार द्वारा बुन्देली संस्कार गीत एवं श्री विनय पटेरिया एवं साथी बडामलहरा द्वारा बुन्देली लोकगीत एवं श्री कपिल यादव , सागर द्वारा बरेदी नृत्य की प्रस्तुती दी जायेगी।

Share This Article
Share via
Copy link