धुएं से बनता है कार्बन डाइऑक्साइड
तापमान में होती वृद्धि
नरवाई से जैविक खाद बनाएं
कलेक्टर छतरपुर संदीप जी.आर. ने कृषकों से अपील करते हुए कहा कि फसल काटने के बाद बचे अवशेष नरवाई को जलाने से न सिर्फ वातावरण के तापमान में वृद्वि होती है बल्कि इसके दुष्परिणाम से मृदा जनित समस्याओं से जूझना पड़ता है। नरवाई जलाने के परिणाम किसानों के लिये आत्मघाती है। नरवाई के धुएं से कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होती है। जिससे वातावरण का तापमान भी दूषित होता है। इसलिए कृषक नरवाई जलाने के अपेक्षा फसल अवशेष को एकत्र करते हुये जैविक खाद भू-नाडेप, वर्मी कम्पोस्ट बनाये जाये। यह खाद पोषक तत्व से भरपूर होती है। किसान रोटा वेटर चलाकर खेतों की गहरी जुताई करते हुये नरवाई को नष्ट कर मिट्टी में मिलाये। इससे मृदा के भौतिक, संरचना, पारगम्यता, जल धारण क्षमता एवं तापमान में सुधार होता है। जमीन की कार्बनिक पदार्थ की उपलब्धता में वृद्वि होने से जमीन को उपजाऊ बनाया जा सकता है। कृषि अधिकारी डॉ. सुरेश पटेल छतरपुर ने बताया कि नरवाई जलाने पर अन्य भीषण दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है। नरवाई जलाने के दौरान किसी प्रकार की घटना घटित होने पर संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध राजस्व अधिकारों के तहत कानूनी कार्यवाही हो सकेंगी। इसके अलावा राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के प्रावधान के अनुसार किसान खेत में फसल अवशेष जलाने या जलाते हुये पाये जाने पर उसके खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही के साथ-साथ जुर्माना लगाने का प्रावधान भी है।